नई पीढ़ी में गीता से लेकर योग का अलख जगाते राजकुमार अवस्थी
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला निवासी श्री राजकुमार अवस्थी विद्वान और कई भाषाओं के जानकार हैं। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृति तथा उर्दू विषय में स्नातकोत्तर किया हैं।राजकुमार अवस्थी एक विचारक, उत्साही पर्यटक, कवि और वक्ता होने के साथ ही साथ भारतीय एवं विश्व इतिहास, भारतीय
संस्कृति, दर्शन योग, ज्योतिष
आदि विषयों के गंभीर पाठक भी हैं। भाषा और साहित्य में अभिरूचि के चलते वह कई दशकों तक अंग्रेजी विषय पढ़ाते रहे। राजकुमार अवस्थी का जन्म वर्ष 1931 में हुआ। उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता तथा श्रीरामचरित मानस का अध्ययन किया । और अब उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य नई पीढ़ी को इन ग्रंथों के के बारे में बताना और उसे अपने आचरण में उतारने की प्रेरणा देना हैं। 91 वसंत देख चुके राजकुमार अवस्थी योग को काफी महत्व देते हैं। वो 91 साल में खुद तो नियमित रूप से योग करते ही हैं...लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। उनका कहना है कि योग करने से बीमारी दूर भागती है। राजकुमार अवस्थी इस बात पर जोर देते है कि अगर युवा वर्ग को अपना जीवन सुखमय बनाना है तो उसे योग को दिनचर्या में शामिल करना होगा। उनका कहना है कि योग
सनातन संस्कृति का एक हिस्सा है, जिसे
दुनिया ने अपनाया है। इसलिए हम लोगों को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।
(नई पीढ़ी को श्रीमद्भागवत गीता की अलख जगा रहे श्री राजकुमार अवस्थी
-कई विषयों के ज्ञाता राजकुमार अवस्थी 91 वर्ष की उम्र में योग से खुद को रख रहे हैं फिट
-राजकुमार के अवस्थी के अनुसार, सनातन संस्कृति का ही एक हिस्सा योग)