भारत में 4 हजार से अधिक शहर हैं, लेकिन कुंभ मेले का आयोजन केवल चार विशेष शहरों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है। इसका कारण इन स्थानों का गहरा धार्मिक और पौराणिक महत्व है। कुंभ मेला समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ा है, जहां अमृत कलश की कुछ बूंदें इन चार जगहों पर गिरी थीं। इस कारण ये स्थान विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और पवित्रता के केंद्र माने जाते हैं।
कुंभ मेले का आयोजन ज्योतिषीय गणनाओं और ग्रहों की स्थिति पर आधारित होता है। हर स्थान का आयोजन समय ग्रहों की विशेष स्थिति, जैसे सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की युति पर निर्भर करता है। इस पवित्र आयोजन में लाखों श्रद्धालु पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि के लिए भाग लेते हैं। यह परंपरा भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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