ह मारे वेदों और शास्त्रों में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे हर संस्कार और अच्छे काम से पहले भगवान का ध्यान करने के लिए कोई ना कोई प्रार्थना है उसी तरह शिक्षा ग्रहण करने से पहले या कहें कि पढ़ाई करने से पहले भी प्रार्थना बताई गई है।
पहली प्रार्थना-
'सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥'
इसका अर्थ है- ज्ञान की देवी मां सरस्वती को नमस्कार, वर देने वाली यानि इच्छा देने वाली मां भगवती को नमस्कार। अपनी विद्या शुरू करने से पहले मैं आपका नमन करता हूं, मुझ पर अपनी कृपा बनाएं रखें।
दूसरी प्रार्थना है-
'या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||'
इसका अर्थ है- विद्या की देवी सरस्वती जो कुंड के फूल, चंद्रमा, बर्फ, मोती के हार जैसी सफेद है और जो सफेद वस्त्र पहनती हैं, जिनके हाथ में वीणा अपनी शोभा बढ़ा रही है और जो सफेद कमल पर विराजमान हैं, जिनकी पूजा ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी करते हैं, पूरी अज्ञानता को दूर करने वाली ऐसी मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।
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