क्या हमारे सपनों का होता है कोई अर्थ?

क्या हमारे सपनों का होता है कोई अर्थ?

श्रेणी: दर्शन | लेखक : admin | दिनांक : 25 January 2020 22:23

मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है नींद.. और नींद का अभिन्न अंग है स्वप्नयानि सपने । हम सब अपने जीवन में नींद का महत्व जानते हैं, लेकिन नींद के दौरान आने वाले सपने का महत्व हर किसी को नहीं पता होता । सुबह उठने के बाद हमें खुद अपने सपने कभी याद रहते है कभी नहीं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि आखिर सपने क्यों आते हैं ? क्या सपनों का कुछ मतलब होता भी है ? क्या ये सपने हमसे कुछ कहना चाहते हैं ?


इंटरनेट पर सपनों के बारे में अधिक जानकारी की भरमार है। अगर कोई अपने सपनों का अर्थ जानना भी चाहे तो इस आधी अधूरी जानकारी से नहीं जान सकता । सच तो ये है कि हमारे शास्त्रों में सपनों के बारे में बहुत जानकारी दी गई है। अगर हम सही ढंग से उसका अध्ययन करें तो सपनों के पीछे छिपे गूढ़ अर्थों को जानना हमारे लिए कोई मुश्किल बात नहीं होगी।


हर देश और हर धर्म में सपनों के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है । अलग-अलग सपनों की मान्यताएं देश या धर्म के साथ बदलती हैं, लेकिन सपनों का महत्व और उनके पीछे छिपे अर्थ को जितनी गहराई से सनातन धर्म में बताया गया है वो कहीं और नहीं मिलता । हमारे वेद पुराणों में सपनों के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगर हमें सपनों के पीछे छिपे अर्थ का ज्ञान हो जाए तो शायद अपने कई सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे।

यजुर्वेद के अध्याय रुद्रम - चमकम में सपनों के महत्व के बारे में बताते हुए कहा गया है कि एक आस्थावान हिन्दू अच्छी नींद का महत्व जानता है । वह दिन में तीन बार ईश्वर का ध्यान करते हुए प्रार्थना करता है कि उसे ‘दुस्वप्न’ या निबुरे सपने ना दें।

(संदर्भ: अद्यानोदेवसविता: संध्यावंदना मंत्र)

सपनों के बारे में जानने से पहले अपनी नींद की प्रक्रिया को जानते हैं। हमारी नींद को चार चरणों (स्टेज) में बांटा गया है। इनमेंसे  तीन चरण नॉनरैपिडआई मूवमेंट (एनआईईएम) के होते हैं और अंतिम चरण रैपिडआई मूवमेंट (आरईएम) का होता है। हम सपने नींद की आखिरी स्टेजयानी  आरईएम में देखते हैं। इस वक्त हमारा मस्तिष्क उसी तरह सक्रिय रहता है जिस तरह जागने पर रहता है । हम कह सकते हैं कि सपने हमें तब आते हैं जब हम बहुत गहरी नींद में नहीं होते। हमारा शरीर पूरी तरह आराम कर रहा होता है,लेकिन हमारा मस्तिष्क जाग्रत अवस्था में होता है।

सपनों को लेकर भारतीय मान्यताओं और पश्चिमी मान्यताओं में बहुत फर्क है। पश्चिमी मनोवैज्ञानिक सपनों को हमारी अधूरी इच्छाओं और भावनाओं के तौर पर देखते हैं। यानि उनके मुताबिक हमारी जो इच्छाएं और आकांक्षाएं जीवन में पूरी नहीं हो पाती, वही हमें सपने में दिखाई देते हैं।

पश्चिमी मनोविश्लेषक सिग्मंडफ्रायड  सपनों की व्याख्या अभिलाषा पूर्ति के तौर पर करते हैं, लेकिन हिन्दुओं के विचार इससे बिल्कुल अलग हैं। हम सपनों को आने वाले समय की दस्तक के तौर पर देखते हैं। हमारे लिए सपने हमें आने वाली खुशी या मुसीबत के बारे में बताते हैं।अगर हम अपने धर्म ग्रंथों को पढ़े तो पाएंगे कि हमने सपनों की व्याख्या आधुनिक वैज्ञानिकों से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से की है। हमारे धर्म ग्रंथों में जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरिया अवस्था के  बारे में बताया गया है। दिलचस्प बात ये है कि इनमें तुरिया अवस्था के  लिए अंग्रेजी में भी कोई शब्द नहीं है जिसका मतलब होता है नींद के सभी चरणों (स्टेजस) से परे पूरी तरह चेतन अवस्था।


धर्म ग्रंथों के अलावा हमारे ऋषियों और तपस्वियों ने भी सपनों के बारे में गहराध्ययन किया है। ऋषि केशके स्वामी सिवानंद ने अपनी किताब ‘द फिलॉसफी ऑफ ड्रीम्स’ (यह किताब द डिवाइन लाइफ सोसायटी की वेबसाइट पर निशुल्क उपलब्ध है)  में बहुत खूब सूरती से सपनों के बारे में लिखा है।


“हर सपने का एक अर्थ होता है। सपने एक अनजानी भाषा में लिखे गए पत्र की तरह होते हैं।  जैसे चीनी भाषा ना जानने वाले व्यक्ति के लिए उस भाषा में लिखे गए पत्र का कोई अर्थ नहीं है, लेकिन जो वह भाषा जानता है उसके लिए वह पत्र अनमोल जानकारी लिए होता है। सपनों के कई  मतलब हो सकते हैं..  कुछ सपने हमें तुरंत किसी खतरे से  आगाह करते हैं या किसी मुसीबत से बचने की सलाह देते हैं, ये किसी धर्म की भरे पत्र की तरह भी हो सकते हैं और किसी प्रेमपत्र की तरह भी।इन सपने का अर्थ वही समझ सकता है, जो इसके बारे में जानना चाहता है औ इन सपनों के पीछे छुपे अर्थ को समझने की कोशिश करता है, लेकिन हममें से कितने हैं, जो अपने अवचेतन मन से मिले इन संदेशों को समझने की कोशिश करते हैं!”

विदेशों में तो शायद सपनों पर हाल ही में बात होनी शुरू हुई है, लेकिन भारत में पुरातन काल से सपनों और सपनों के पीछे छिपे अर्थ पर लिखा गया है। हमारे सभी संस्कृत साहित्यों में सपनों के बारे में विस्तार से लिखा गया है। ऋगवेद, कौषीतकिब्राह्मणोपनिषद, छांदोग्य उपनिषद  जैसे साहित्यों में हमें सपनों के  बारे में संदर्भ मिलते हैं। अगर हम कुछ संदर्भों पर नजर डालें तो पाएंगे कि इन पुरातन साहित्यों में सपनों को भविष्य के संदेश देने वाला बताया गया है। जैसे छदोग्य उपनिषद में कहा गया है कि अगर सपने में महिला दिखे तो समझना चाहिए कि आपका पिछला बलिदान (अग्नि संस्कार) सफल हुआ है। इस तरह के सपनों की व्याख्या विस्तार से की  गई है ताकि किसी तरह का संदेह ना रहे। कौषीतकीब्राह्मणोपनिषद  में कहा गया है काले कपड़ों में काले दांतों वाले आदमी को सपने में देखना अशुभ होता है। सपनों में भगवान के संदेश मिलने के संदर्भ भी मिलते हैं। ऋषि विश्वामित्र को भगवान शिव ने सपने में ही आकर मंत्र उपदेश दिए थे। श्रीरामानुज के अधिवक्ता सपने को भगवान की इच्छा के रूप में देखते थे।


सपनों के बारे में सबसे दिलचस्प किस्से हमें अपने विश्वविख्यात विद्वानों के जीवन में मिलते हैं। अगर आप इनके बारे में पढ़ेंगे तो हैरान रह जाएंगे। पूरी दुनिया में अपने ज्ञान की रोशनी देने वाले कई विद्वानों के जन्म से पहले उनके माता पिता को ऐसे सपने आए, जिनमें ईश्वर ने उन्हें आने वाले बच्चे के दिव्य होने के संकेत दिए। इनमें से कुछ संदर्भों पर नज़र डालते हैं।

तमिल वैष्णव विवाह में गाए जाने वाले गीत का आधार भी सपने ही हैं । तमिल विवाह में गाए जाने वाले ये गीत महान तमिल वैष्णव महिला संत अंदल ने लिखे थे। अंदल को सपना आया कि भगवान विष्णु उनसे विवाह कर रहे हैं, अपने इसी सपने को उन्होंने खूबसूरत तमिल का व्यवरणमआयिरम में लिखा।


जैन संत वर्धमान महावीर, गौतमबुद्ध, श्रीरामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद जैसे अन्य कई संतों के जन्म से पहले भी ऐसी ही घटनाएं हुई हैं, जिनसे पता चलता है कि सपने के पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे रहते हैं। स्वामी विवेकानंद कीमाता भुवनेश्वरी देवी को उनके जन्म से पहले सपना आया था कि भगवान शिव ने उनके बेटे के रूप में जन्म लिया है। भुवनेश्वरी देवी वाराणसी के आत्मविरेश्वर महादेव की भक्त थी।यह सपना आने के बाद उन्हें बेटा हुआ,जिसका नाम उन्होंने विरेश्वर रखा,जिसे बाद में बदलकर नरेंद्र और फिर विवेकानंद हो गया।


श्रीरामकृष्ण परमहंस के माता पिता को भी उनके जन्म से पहले चमत्कारी सपने आए। उनके पिता खुदीराम गया में थे, जब भगवान गदाधर ने उनके सपने में आकर उन्हें बताया कि वो उनके बेटे के रूप में जन्म लेने वाले हैं।दूसरी तरफ उनकी मां चंद्रमणि देवी को सपने में दिखाई दिया कि शिव मंदिर से निकलती हुई एक दिव्य रोशनी उनकी कोख में प्रवेश कर रही है।


गौतम बुद्ध की माता महामाया देवी को भी इसी तरह के सपने आए। राजाशुद्धोधन और उनकी पत्नी रानी महामाया देवी को शादी के बीस साल तक कोई संतान नहीं हुई।एक दिन मायादेवी को सपना आया कि एक सफेद हाथी ने अपनी सूंड में कमल का फूल लिए उनकी तीन बार परिक्रमा की और उनके गर्भ में समा गया। इससे पहले उन्हें सपना आया कि चार परियां उन्हें लेकर हिमालय गईं,जहां उन्होंने एक झील में स्नान किया। इन सपनों के बाद उन्हें बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने सिद्धार्थ रखा, जो आगे जाकर गौतमबुद्ध के नाम से जाना गया।
ऐसी कई घटनाओं का जिक्र हमें मिलता है, जहां महान व्यक्तियों की माताओं दिव्य रोशनी या सफेद हाथी उनके गर्भ में प्रवेश करते हुए सपने में दिखाई दिया। सपने में हाथी का आना शुभ माना गया है।


महावीर की माता त्रिशला को उनके जन्म से पहले 16 ऐसे सपने आए, जिनमें उनके आने का संदेश छुपा था। जब राजा सिद्धार्थ ने अपने ज्योतिषियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वेदों के अनुसार ऐसे 72 सपने होते हैं, जिनका फल बेहद शुभ होताहै । उन्होंने राजा सिद्धार्थ को पुत्र होने की भविष्यवाणी की, जो आध्यात्मिक साम्राज्य पर शासन करेगा। त्रिशला के 16 सपने ये थे :-

सफेद हाथी शेर देवी गजलक्ष्मी चंद्रमा दो मछलियां सूर्य कमल के फूलों से भरी हुई झील दूध का समुद्र दिव्य महल माणिक और हीरों का सिंहासन दिव्य राजा फूलमाला सफेद सांड सुगंधित मंदराफूल रत्नों से जड़ा फूलदान उनके अंदर प्रवेश करता हुआ सफेद हाथी मृत आत्माओं के संदेश  हमारे प्राचीन साहित्य में ऐसी कई कहानियां मिलती हैं,जो उन लोगों के लिए बेहद मददगार साबित होंगी, जो सपने के बारे में और उनके पीछे छिपे अर्थ के बारे में जानने की जिज्ञासा रखते हैं। कई ऐसे संदर्भ भी मिलते हैं, जहां मृत आत्माओं ने लोगों के सपनों में आकर कुछ संदेश दिए हैं।
मदुरई अधीनम (सेवामठ)  के पूर्व मठाधीश का शोध कार्य उल्लेखनीय है। उन्होंने मृत लोगों से संपर्क करने पर बहुत रिसर्च किया था। कई साल पहले उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने ऐसे कई घटनाओं का जिक्र किया है, जिनमें मृत लोगों ने सपने में आकर आने वाले खतरे के बारे में सावधान किया।
 
ऐसी ही एक घटना वल्लभाचार्य से जुड़ी है। वल्लभाचार्य का जन्म समय से पहले हो गया और उनकी मां को लगा कि उनमें जान नहीं है। मां ने उन्हें दुखी मन से एक पेड़ के नीचे लावारिस छोड़ा और घर आ गई। उसी रात उनकी मां के सपने में कृष्ण आए और कहा कि उन्होंने उनकी कोख से जन्म लिया है, मां घबराकर वापस उसी पेड़ की तरफ भागी, जहां उसने अपने बच्चे को छोड़ा था। वहां उन्होंने पाया कि बच्चा जीवित था और एक दिव्य अग्नि उसकी रक्षा कर रही थी।
स्वामी विवेकानंद ने भी ईसा मसीह के एक विचित्र सपने के बारे में अपनी विद्यार्थियों को बताया । उनके शब्दों में -
“इंग्लैंड से वापस लौटते हुए जब हमारा जहाज भूमध्य सागर से गुज़र रहा था तो मुझे एक अजीब सा सपना आया। एक बुजुर्ग जो दिखने में किसी ऋषि मुनि जैसा लग रहा था, मेरे सामने खड़ा था, उसने कहा, भारतीय ऋषियों ने अपनी शिक्षा में स्थान दिया है।  मैं उसके प्राचीन क्रम में से एक हूं।


हमारे ग्रंथ साहित्यों में जिन सत्य और आदर्शों का प्रचार किया गया है, ईसाइयों द्वारा उन्हें ही जीसस की देन बताया गया है, लेकिन दरअसल जीसस नाम का व्यक्तित्व कभी पैदा ही नहीं हुआ। ऐसे कई सबूत यहां पेश किए जाएंगे।” मैंने उनसे पूछा कि वो जिन सबूतों की बात कर रहे हैं वो किन जगहों पर पाए जाते हैं।उन्होंने तुर्की के एक इलाके की तरफ इशारा किया।
इस सपने के बाद मैं तुरंत नींद से जाग गया । मैंने डेक पर जाकर कैप्टन से पूछा कि इस वक्त हम कहां हैं ? कैप्टन ने कहा, ‘वो देखो वहां..तुर्की और क्रेटे का द्विप है।’


भारत में तो सपनों का महत्व यूं भी ज्यादा है कि यहां कलाकार अपने उपन्यास, नाटक या फिल्मों में सपनों का जिक्र करना नहीं भूलते। प्राचीन संस्कृत के जाने-माने नाटक कार हैं भास। उनके प्रसिद्ध नाटक स्वप्नवास वादत्ता में इसका उदाहरण देखने को मिलता है। नाटक के नायक को राजा उदयन के दरबार में एक लड़की सपने में दिखती है, जिसकी हूबहू पेंटिंग वो बनाता है।


सपनों की महत्ता और उनके पीछे छिपे भविष्य के संकेत का अंदाज़ा कुछ महान व्यक्तित्वों के बारे में जानकर लगाया जा सकता है, जिन्होंने अपनी प्रसिद्ध खोज और आविष्कारों का श्रेय अपने अनोखे सपनों को दिया :-


एफ.ए. केकुले - बेंजीन की संरचना को सपने में देखा और उसे दुनिया के सामने लाए। अब्राहम लिंकन ने अपनी मौत से पहले अपनी हत्या का सपना देखा और अपने दोस्तों को बताया। ओटोलोई - विज्ञान में नोबेल पुरस्कार पाने वाले लोईकोनर्वइंपल्सेस को कैमिकल ट्रांसमिशन की खोज का सपना आया था। पॉलमैकार्टनी- ‘यस्टरडे’ की धुन उन्हें अपने सपने में मिली थी। मेरी शेली अपने प्रसिद्ध उपन्यास फ्रैंकन स्टाइन का आइडिया उन्हें सपने में ही आया था। एलायसहोवे - अपने सपने के बाद ही इन्होंने सिलाई मशीन का आविष्कार किया। स्टीफन किंग- अपने उपन्यास के कई प्लॉट्स की प्रेरणा उन्हें अपने सपनों से मिली।
स्वीटड्रिम्स दोस्तों !