श्रेणी: विज्ञान | लेखक : द हिन्दू टुडे डेस्क | दिनांक : 25 January 2020 17:36
दि वाली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट मनाया जाता है। हमारे पुराणों में इस पूजा के कई वैज्ञानिक विवरण दिए गए हैं।
ये पूजा उस समय की जाती है जब मौसम में बदलाव हो रहे होते हैं। गर्मियां खत्म हो रही होती हैं, सर्दियों की शुरूआत होने वाली होती है। मौसम के बदलाव के साथ मौसमी फल और सब्जियों में भी बदलाव हो रहे होते हैं। इसलिए अन्नकूट में सभी तरह की सब्जियां मिलाकर मिक्स वेजीटेबल बनाने की परंपरा है। सारी सब्जियों को मिलाकर बनाई गई ये मिलीजुली सब्जी इस बात की याद दिलाती है कि मौसम के साथ जाने वाले सब्जियों को खाने का यह आखिरी दिन है और सेहत को अच्छा बनाए रखने के लिए इसे खाना जरूरी है।
अन्नूकट में सभी मिक्स सब्जी को खाने पर ज़ोर दिया जाता है। कहा जाता है कि व्यक्ति को सभी सात रंगों और छह स्वादों वाली सब्जियां खानी चाहिए। अन्नकूट की मिक्स सब्जी हमें यही परंपरा और सभी सब्जियों के माध्यम से सब तरह के विटामिन खाने के विज्ञान को समझाती है।
अन्नकूट का एक और महत्व है। अन्नकूट दिवाली के बाद मनाया जाता है। दिवाली पर लोग तला हुआ भारी खाना आमतौर से खाते हैं। साथ ही दिवाली पर खाई जाने वाली तरह तरह की मिठाइयों का स्वाद भी ज़ुबान पर ताज़ा होता है। ऐसे में अन्नकूट पर सेहत से भरपूर हरी और करेले जैसी कुछ कड़वी सब्जियां खाने की परंपरा है ताकि हमारे शरीर में हो रहे खाने के असंतुलन को खत्म करके उसे स्वस्थ रखा जा सके।
पौराणिक कहानियों के अनुसार अन्नकूट के दिन पकी हुई सब्जियों का एक पहाड़ सा बनाया जाता है, लोग इसी में से प्रसाद स्वरूप खाना खाते हैं और लोगों को बांटते हैं। इसका अर्थ यह होता है कि अब से हम हल्का खाना ही खाएंगे और जो भी बचे वह दूसरों को बांट देंगे।
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