महाकुम्भ
साधु-संत भी हुए मार्डन, 13 अखाड़ों का तैयार होगा डेटा बेस
-डिजिटल युग में अखाड़ों के प्रबंधन में कारगर साबित होगा डेटा बेस
-आय-व्यय के ब्यौरे से लेकर अखाड़े के इतिहास, परंपराओं और चलाए जा रहे अभियानों का होगा संकलन
अखाड़ों की आध्यात्मिक दुनिया से रूबरू होंगे लोग , ग्लोबल ब्रांडिंग होगी
महाकुम्भ नगर, 10 दिसंबर।
प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुम्भ को दिव्य, भव्य, स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित स्वरूप देने के लिए योगी सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है, उसी कड़ी में अब सरकार ने तकनीकी और नवाचार के सहारे महाकुम्भ को डिजिटल स्वरूप दे दिया है। योगी सरकार के इसी नक्शे कदम पर अब सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े भी डिजिटलाइज हो रहे हैं।
अखाड़े तैयार कर रहे हैं अपने-अपने डाटा बेस
सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े अपना-अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी कहते हैं कि हमारे अखाड़े में कंप्यूटर और बही खाता दोनों का इस्तेमाल हो रहा है। अखाड़े की ऑडिट में इससे बहुत मदद मिलती है। इनकम टैक्स दाखिले के लिए जो भी रिकॉर्ड रखना होता है वह इसी डाटा बेस में रहता है। इसी से फाइल चार्टर्ड अकाउंट को शेयर कर दी जाती है। श्री पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि महाकुम्भ में हमारे अखाड़ों के ऑडिट होते हैं। एक दौर था जब हम बही खाते से इसकी जानकारी ऑडिट के लिए देते थे लेकिन अब हम सबके पास गैजेट हैं। हमारा अखाड़ा संस्कृत विद्यालय भी चलाता है। इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या से लेकर विद्यालय की आय-व्यय की पूरी जानकारी भी इसी डाटा बेस के माध्यम से हम एकत्र रखते हैं।
वैश्विक अभियानों को गति मिलेगी
सनातन धर्म के 13 अखाड़े अध्यात्म, भक्ति और साधना के प्रचारक और प्रसारक मात्र ही नहीं हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इनके आचार्यों द्वारा कई वैश्विक अभियान भी चलाए जा रहे हैं। आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी का कहना है कि धर्म के साथ मानवता बचाने के लिए भी संत कार्य कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए वह वृक्षों को रोपित करने करने का अभियान चला रहे हैं जिसका डाटा बेस भी वह बनवा रहे हैं। इससे उनका समय बचता है , पारदर्शिता स्थापित होती है और प्रबंधन में भी मदद मिल रही है।
वंचित समाज के बीच सनातन की जड़ें होंगी मजबूत
आदिवासी और वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में डाटा बेस उपयोगी साबित होगा। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के महा मंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती कहते हैं कि अन्वेषण और विस्तार के लिए अखाड़ों को डिजिटल युग के अनुरूप ही इसे स्वीकार करना होगा। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को जागृत कर उन्हें सनातन धर्म की परम्परा से जोड़ने की उनकी आदिवासी विकास यात्राओं का उनका अनुभव भी यही है कि वंचित समाज में सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उनकी जानकारी एकत्र कर उसका डाटा बेस तैयार करना एक आवश्यकता है।
वैष्णव अखाड़ों भी बनायेंगे अपना डाटा बेस
वैष्णव अखाड़ों में भी डाटा बेस बनाने पर सहमति है लेकिन कुछ तकनीकी समस्याएं होने की वजह से इसे आने वाले समय में अमल में लाने की बात अखाड़े कह रहे हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत रामजी दास का कहना है कि संन्यासी सम्प्रदाय के अखाड़ों की तरह वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए ऑडिट की आवश्यकता उन्हें नहीं पड़ती। लेकिन यह मौजूदा दौर की सच्चाई है कि डिजिटल युग के दौड़ में वैष्णव अखाड़ों को भी अपने अपने अखाड़ों के डाटा बेस बनाने होंगे।
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